Saturday, May 1, 2021

राजा राम मोहन राय के बारे में

 राम मोहन राय के बारे में  -राम मोहन  राय  को भारतीय पुनर्जागरण पिता कहॆ जातॆ है। वे मानव वाद के दूत और आधुनिक भारत के पिता एवं पुरखा थे। राजा  राम मोहन राय  १७७४ में राधा नगर में एक बंगाली ब्राह्माण कुल में जन्म लिया। इन्होने ने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने ही नगर में प्राप्त की और बंगला फारसी और  संस्कृत में पर्याप्त कौशल प्राप्त कर लिया।  १७९० में वह उत्तरी भारत के भ्रमण पर गए और उन्होंने बौद्ध सिध्दांतो से परिचय प्राप्त किया।  १८०३ में राम मोहन राय  कंपनी की सेवा में नियुक्त किये गए और डिग्बी के साथ दीवान की रूप में काम करने लगे डिग्बी महोदय ने उन्हें अंगेजी सिखाई और उनका परिचय उदारवादी और युक्तियुक्त विचारदारा से करवाया ।  धारण के मामले में उनके विचार उपयोगितावादी  थे। लोग उन्हें धार्मिक बेन्थैम अनुयायी कहते थे। उनका  बल नैतिक और सामाजिक तत्वों पर था जो सभी धर्मो में एक है। 

                     राजा राम मोहन राय की भारत के आधुनिककारन में भूमिका  [rammohanray role in modernization of india ]

       समाज सुधर के क्षेत्र में तो सत्य ही वाह प्रभात के तारा थे।  उनका मुख्या उद्देस्य स्त्रियों के प्रति अधिक उत्तम व्यवहार प्राप्त करना था। उन्होंने जातिवाद पर भी प्रत्यक्ष प्रहार किया। उनके अनुसार जातिपाँति  के कारन भारतीय समाज जाड  हो गया  था और इससे लोगो की एकता तथा घनिस्तता में बंधा पड़टी   थी। शिक्षा के क्षेत्र में वह अंग्रेजी शिक्षा के पक्ष में थे 




       जन्म - २२ मई १७७२ को हुई 

                                     मृत्यु -२७  सितम्बर १८३७ 

                                       माता - तारिणी देवी था 

                                                          पिता -रमाकांत 

जीवनी राजा राम मोहन राय  

                                         राजा राम मोहन राय को १५ वर्ष की आयु में ही उन्हें  बंगाली संस्कृत अरबी  तथा फारसी का ज्ञान हो गया था। राजा राम मोहन राय ने १८०९ से १८१४ तक ईस्ट इंडिया कंपनी में काम किया उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की  वे विदेश में भ्रमण किये [इग्लैंड फ्रांस ] 

 कुछ के विरुध्द  संघर्ष  -इन्होने ईस्ट  कंपनी छोड़ कर अपने आपको देश की सेवा में झोक दिया वे स्वतत्रता के अलावा   वे दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे।  देवेंद्र नाथ टैगोर उनके सबसे  प्रमुख अनुयायी थे। उन्होंने सती प्रणाली  जैसी प्रमुख बुराईयो के उन्मूलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। 

                                                                           पत्रकारिता 


                                                  संवाद कौमुदी ,[यह एक मैगजीन था कोलकाता में प्रकाशित किया गया बंगाली भाषा था ], बंगदूत [एक अनोखा पत्र था इसमें बांग्ला फारसी एवं हिंदी  भाषा का प्रयोग एक साथ किया गया था ]

राजा राम मोहन राय के बारे में

 राम मोहन राय के बारे में  - राम मोहन   राय  को भारतीय पुनर्जागरण पिता कहॆ जातॆ है। वे मानव वाद के दूत और आधुनिक भारत के पिता एवं पुरखा थे ।...